गजब ! क्या दाॅव चला है भाई ! .....रिन्द के रिन्द रहे , हाथ से जन्नत ना गयी ।
एक बात तो साबित हो गयी साहब, विपक्ष में सांसद बिल्कुल भी गंभीर नही हैं ।गंभीर से गंभीर मुद्दे पर भी होमवर्क नहीं करते है।ना ही सियासी संकट के इस नाजुक दौर में भी उसका कोई थिंक टैंक है। 'सी ए बी' के मुद्दे पर संसद के पटल पर रखे गये मसौदे का विपक्ष ने बारीकी से अध्ययन किया होता तो आज पूरा विपक्ष और भारत का मुस्लिम समाज संसद से लेकर सडक तक एक बेवजह हिंसक आन्दोलन का अपराधी बनकर सत्ता पक्ष की कानूनी और नैतिक प्लताडनाऐं ना झेल रहा होता।
गृह मंत्री ने कुछ इस अंदाज में दिए गये बयानों के साथ 'सी ए बी ' के मसौदे को संसद के पटल पर रखा कि यह बिल केवल हिन्दुओं के लिए है मुस्लिमों के साथ इस बिल के जरिए घोर नाइंसाफ़ी हो रही है।
बिल के मसौदे और उस पर गृहमंत्री तथा सत्ता पक्ष के बयानों में सियासतन किये जा रहे फर्क को विपक्ष समझ ही नहीं पाया । इसी संशयपूर्ण स्थिति में बिल दोनों सदनों मे पास भी हुआ और नियमानुसार राष्ट्रपति की अनुशंसा से दो दिन बाद ही कानून भी बन गया । यानि सी ए बी अब सी ए ए बन चुका था । भा ज पा की चाल के मुताबिक इस वक्त तक "सी ए ए" को साम्प्रदायिक और मुस्लिम समाज के प्रति अन्याय और संविधान की मूल अवधारणा के खिलाफ घोषित करके मुस्लिम समाज के नेता और सम्पूर्ण विपक्ष की शह पर पूरे देश में हिंसक आन्दोलनों का व्यापक दौर शुरू हो चुका था। बीच बीच में गृहमंत्री ने एन आर सी का तडका भी अपने बयानों मे लगाना जारी रखा । आन्दोलन के चरम पर पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री खुद रामलीला मैदान में एक रैली में आए और दावा किया कि "सीए ए" में कुछ भी वैसा नही है जैसा विपक्ष बता रहा है और मुस्लिम समाज समझ रहा है। उन्होंने यह भी बयान दिया कि ऊभी तक एन आर सी जैसा कोई प्रस्ताव अस्तित्व मे ही नहीं आया है। प्रधान-मंत्री ने विपक्ष को उसकी सियासी नियत के नाम पर नंगा किया और मुस्लिम समाज को समझाया कि विपक्ष उसका बेजा सियासी इस्तेमाल कर रहा है ।
अब तक विपक्ष भी गृहमंत्री की चाल को समझ चुका था कि उसे फंसा लिया गया है। जल्दबाजी और ना समझी में उठाये गये सारे कदम उसके खिलाफ गये हैं ।
सत्ता पक्ष आज बकायदा अभियान चलाकर मुस्लिम समाज को यह समझाने मे कामयाब हो रहा है कि विपक्ष ने अपने सियासी फायदे के लिए भाजपा के खिलाफ उसे भडकाकर उसका बेजा इस्तेमाल किया है जिसमें उसका जान और माल का भारी नुकसान हुआ है। अब बडी संख्या में उसके खिलाफ मुकद्दमे और आर्थिक जुर्माने की तमाम कार्यवाही का जिम्मेदार सीधे सीधे विपक्ष को बताया जाऐगा।
इस सारी कवायद में मोटा सियासी नुकसान विपक्ष का और सारा का सारा फायदा भाजपा को होता दिख रहा है।
इस सियासी फायदे में एन आर सी के अपने असली मकसद की कामयाबी का रास्ता भी भाजपा ने साफ कर लिया है। जिसके जरिए आने वाले सारे विधान सभा और 2024 लोकसभा का बडा लक्ष्य वह साधती दिख रही है ।
विरेष तरार जी कि वाल से